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Covishield vs Covaxin vaccine: कौन सी वैक्‍सीन बेहतर है? जानिए इससे जुड़ी हर छोटी-बड़ी जानकारी

Covishield vs Covaxin vaccine: कौन सी वैक्‍सीन बेहतर है? जानिए इससे जुड़ी हर छोटी-बड़ी जानकारी


Covishield vs Covaxin Vaccine difference: कोरोना वायरस वैक्‍सीनेशन का तीसरा चरण शुरू हो चुका है. लेकिन अब कोविशील्‍ड और कोवैक्‍सीन लेकर लोगों में चिंता है कि उनके लिए कौन सी वैक्‍सीन सबसे बेहतर है. इन्‍हीं बातों को ध्‍यान में रखते हुए हमने इससे जुड़े सवालों का जवाब निकाला है

Covishield vs Covaxin vaccine: कौन सी वैक्‍सीन बेहतर है? जानिए इससे जुड़ी हर छोटी-बड़ी जानकारी
कोविशील्‍ड और कोवैक्‍सीन

देशभर में 1 मई से कोरोना वायरस वैक्‍सीनेशन का तीसरा चरण शुरू हो चुका है. सभी राज्‍य व केंद्र शासित प्रदेश अपने पास वैक्‍सीन उपलब्‍धता और कोरोना के मामलों के हिसाब से 18 साल से ज्‍यादा उम्र वाले लेागों को वैक्‍सीन लगवाने की व्‍यवस्‍था कर रहे हैं. भारत में कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर लगातार तेजी से अपना पैर पसार रहा है, इसी को देखते प्रधानमंत्री ने अप्रैल में ही 18+ वाले लोगों को वैक्‍सीन लगवाने का ऐलान किया था.

भारत में फिलहाल दो ही वैक्‍सीन उपलब्‍ध हैं. हालांकि, तीसरी वैक्‍सीन रूस की स्‍पुतनिक-वी को मंजूरी मिल चुकी है और बीते शनिवार को इसकी पहली खेप भारत पहुंच गई है. दो वैक्‍सीन में से पहली का नाम ‘कोवैक्‍सीन’ है, जिसे भारत बायोटेक ने तैयार किया है. जबकि, दूसरी वैक्‍सीन ‘कोविशील्‍ड’ है और इसे सीरम इंस्‍टीट्यूट ऑफ इंडिया तैयार कर रही है. ये दोनों वैक्‍सीन भारत में ही तैयार की गई हैं. कोवैक्‍सीन पूरी तरह से भारत में बनी वैक्‍सीन है.

इस बीच भारत में वैक्‍सीन लगवाने को लेकर सबसे बड़ी बहस इस बात की है कि इनमें से कौन सी वैक्‍सीन बेहतर है?  इसी को देखते हुए आज हम आपको दोनों वैक्‍सीन की उपलब्‍धता, अंतर, समानता, फायदे और दुष्‍प्रभाव समेत पूरी जानकारी देंगे. आइए जानते हैं इसके बारे में…

कैसे तैयार की गई है ये दोनों वैक्‍सीन?

दोनों वैक्‍सीन एक ही तरह की वैक्‍सीन हैं, इन्‍हें वायरस को मोडिफाई/इनएक्टिव करके तैयार किया गया है. सीरम इंस्‍टीट्यूट द्वारा तैयार किया गया कोविशील्‍ड वायरल वेक्‍टर वैक्‍सीन है. इसमें चिम्‍पैंजी में पाए जाने वाले एडिनोवायरस की मदद से तैयार किया गया है.

दूसरी ओर, कोवैक्‍सीन को इनएक्टिव वायरल स्‍ट्रेन की मदद से तैयार किया गया है. आसान भाषा में समझें तो इसके लिए मृत वायरस का इस्‍तेमाल किया गया है ताकि इंसानों की बॉडी में कोरोना वायरस के प्रति प्रतिरोधक क्षमता बढ़े.

इन वैक्‍सीन के कितने डोज़ की जरूरत होगी?

दोनों वैक्‍सीन के लिए दो डोज़ ही लगाया जाना है. कोवैक्‍सीन के दोनों डोज़ के बीच 4 से 6 सप्‍ताह का अंतर होना चाहिए. जबकि, कोविशील्‍ड के दोनों डोज़ के बीच 6 से 8 सप्‍ताह का अंतर होना चाहिए. कोविशील्‍ड के दो डोज़ के बीच यह अंतर एक्‍सपर्ट्स के सुझावों के बाद लागू किया गया है. एक्‍सपर्ट्स का कहना है कि अधिक अंतर पर इस वैक्‍सीन के लगवाने से रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है.

कितने प्रभावी हैं दोनों वैक्‍सीन?

इनकी प्रभावशीलत की बात करें तो दोनों वैक्‍सीन कारगर हैं. दोनों वैक्‍सीन विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन के मापदंडों पर खरा उतरती हैं और रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मददगार हैं.

हालांकि, नये क्लिनिकल डेटा की उपलब्‍धता के साथ ही और भी कई बातें सामने आ रही हैं. पिछले साल नवंबर के ट्रायल के आंकड़े पर कहा जा रहा है कि कोरोना वायरस को रोकने में कोविशील्‍ड 70 फीसदी तक कारगर है.

जबकि, इसे बढ़ाकर 90 फीसदी तक किया जा सकता है. इस वैक्‍सीन के लगवाने वाले व्‍यक्ति में संक्रमण का खतरा बेहद कम होता है. अगर वैक्‍सीन लगवाने के बाद भी किसी को संक्रमण हो जा रहा है तो वे जल्‍दी ही रिकवर हो रहे हैं.

कोवैक्‍सीन के अंतरिम नतीजे और क्लिनिकल स्‍टडी के आंकड़ों पर कहा गया है कि यह वैक्‍सीन 78 फीसदी तक कारगर है. इसके अलावा यह भी कहा गया कि इस वैक्‍सीन के लगवाने से गंभीर संक्रमण का खतरा और मृत्‍यु रोकने में 100 फीसदी तक कारगर है.

कितनी है कीमत और कहां उपलब्‍ध हैं ये दोनों वैक्‍सीन?

दोनों वैक्‍सीन अब राज्‍यों और ओपेन मार्केट के लिए उपलब्‍ध हैं. सीरम इंस्‍टीट्यूट राज्‍य सरकारों को 300 रुपये और प्राइवेट असप्‍तालों को 600 रुपये में यह वैक्‍सीन दे रहा है.

जबकि, कोवैक्‍सीन इस मामले में थोड़ा महंगा है. राज्‍य सरकरों के लिए कोवैक्‍सीन की कीमत 400 रुपये और प्राइवेट अस्‍पतालों को 1,200 रुपये में मिल रहा है.

हालांकि, उत्‍तर प्रदेश, बिहार और छत्‍तीसगढ़ समेत कई राज्‍यों की सरकारों ने इसे मुफ्त में उपलब्‍ध कराने का ऐलान किया है.

नये म्‍यूटेंट के प्रति कितने कारगर हैं ये वैक्‍सीन?

कोरोना वायरस के नये स्‍ट्रेन पहले से बेहद खतरनाक साबित हो रहे हैं. ब्रिटेन स्‍ट्रेन, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका के स्ट्रेन के अलावा भारत में पाये जाने वाले डबल और ट्रिपल म्‍यूटेंट ने चिंता और भी बढ़ा दी है.

जानकारों का कहना है कि दोनों वैक्‍सीन आपको पूरी तरह से वैक्‍सीन से सुरक्षित तो नहीं करते हैं. लेकिन, कोवैक्‍सीन ने वैरिएंट्स में अधिक प्रभावी माना जा रहा है. ब्रिटेन स्‍ट्रेन के खिलाफ इसका असर बहुत अच्‍छा रहा है.

एक्‍सपर्ट्स का कहना है कि हर वैक्‍सीन आपको कोरोना वायरस वैक्‍सीन के नये म्‍यूटेंट के फैलाव को रोकने में कारगर हैद. ऐसे में लोगों के यहां जो भी वैक्‍सीन उपलब्‍ध है, उन्‍हें वो लगवा लेना चाहिए.

क्‍या हैं इसके साइट-इफेक्‍ट्स ?

कई अन्‍य वैक्‍सीन की तरह ही कोवैक्‍सीन और कोविशील्‍ड के साइट-इफेक्‍ट्स रेक्‍टोजेनिक हैं. अधिकतर साइड-इफेक्‍ट्स के नाम पर लोगों में इंजेक्‍शन की जगह पर मामूली दर्द, हल्‍का बुाखार, सिर दर्द, पेट दर्द, मिचली आना, चक्‍कर आने की ही शिकायत रही है.

कोविशील्‍ड लगाने वालों के बेहद कुछ ही मामलों में न्‍यूरोलॉजिकल जटिलता देखने को मिली है. हालां‍कि, कोवैक्‍सीन में इस तरह की कोई समस्‍या नहीं देखने को मिली है. प्रग्‍नेंट महिलाओं को लेकर कोवैक्‍सीन लगाने में कुछ समस्‍या सामने आ रही हैं. वैसे प्रग्‍नेंट महिलाओं को वैक्‍सीन लगाए जाने पर मनाही है.

किन्‍हें नहीं लगानी चाहिए ये वैक्‍सीन?

अगर किसी व्यक्ति को फॉर्मास्‍युटिकल्‍स दवाओं से एलर्जी है तो उन्‍हें वैक्‍सीन नहीं लगाने का सुझाव है. अगर किसी व्‍यक्ति को पहले डोज़ के बाद कोई समस्‍या आई है तो उन्‍हें दूसरे डोज़ नहीं लगाना चाहिए. इसके अलावा किसी व्‍यक्ति को मोनोक्‍लोनल एंटीबॉडीज़ और प्‍लाज्‍़मा से इलाज हुआ है तो उन्‍हें भी अभी वैक्‍सीन नहीं लगवाना है.

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