-->

Follow Me Whatsapp Channel 👇👇👇

Follow Me Whatsapp Channel 👇👇👇
अपने नंबर को प्राइवेट रखें और फॉलो करें हम आपको Daily Update देते रहेंगे
सावधान! स्मार्टफोन में हैं ऐसे ऐप्स तो लग सकता है फटका, फर्जी ट्रायल के नाम पर वसूल रहे मोटी रकम

सावधान! स्मार्टफोन में हैं ऐसे ऐप्स तो लग सकता है फटका, फर्जी ट्रायल के नाम पर वसूल रहे मोटी रकम


स्मार्टफोन के इस दौर में कई ऐप्स ट्रायल के नाम पर डाउनलोड करने को कहते हैं. इसके बाद यूजर्स से खूब पैसा कमाते हैं. चौकाने वाली बात तो यह है कि इन ऐप्स को डिलीट करने के बाद भी यूजर्स को पैसे वसूले जाते हैं

सावधान! स्मार्टफोन में हैं ऐसे ऐप्स तो लग सकता है फटका, फर्जी ट्रायल के नाम पर वसूल रहे मोटी रकम
ये ऐप्स यूजर्स से 2.48 लाख सालाना तक चार्ज करते हैं.

जिन मोबाइल ऐप में कम समय के ​लिए फ्री ट्रायल होता है, उन्हें फ्लिकवेयर कहते हैं. बीते कुछ समय में इन ऐप्स ने डाउनलोडर्स से खूब पैसा कमाया है. ये ऐप्स यूजर्स से बड़े सब्सक्रिप्शन फीस चार्ज करते हैं और यूजर्स को कई बार तो इसके बारे में पता भी नहीं होता है. ये ऐप्स उन यूजर्स को टार्गेट करते हैं, जिन्हें सब्सक्रिप्शन मॉडल के बारे में खास जानकारी नहीं है. सब्सक्रिप्शन के लिए तब भी चार्ज वसूला जाता है, जब यूजर्स ने ऐप तक डिलीट कर दिया है.

दरअसल अगर कोई यूजर ऐप डिलीट करते समय सब्सक्रिप्शन कैंसिल नहीं करते हैं तब तक उनसे चार्ज वसूला जाता है.

अवास्ट ने रिपोर्ट में किया खुलासा

इस एक ट्रिक से सैकाड़ों ऐप्स करीब 400 मिलियन डॉलर रेवेन्यू के तौर पर जेनरेट करते हैं. भारतीय रुपये में यह रकम करीब 2897 करोड़ रुपये होती है. ये ऐप्स आपको ऐप्पल और गूगल के प्ले स्टोर पर मिल जाएंगे. सिक्योरिटी सॉलुशन कंपनी अवास्ट ने अपनी एक रिपोर्ट में इस बारे में जानकारी दी है.

अवास्ट की टीम ने ऐसे 204 मोबाइल ऐप्स का पता लगाया है. इनमें से 134 ऐप्स ऐप्पल के ऐप स्टोर पर हैं, जबकि 70 ऐप्स गूगल प्ले स्टोर पर हैं. इन्हें 500 मिलियन बार इंस्टॉल किया जा चुका है. ये ऐप्स शुरू में ट्रायल के तौर पर काम करते हैं. बाद में सब्सक्रिप्शन चार्ज करते हैं. कुछ ऐप्स तो यूजर्स से 3,432 डॉलर सालाना यानी 2.48 लाख रुपये तक चार्ज करते हैं.

इस साइबरसिक्योरिटी फर्म ने बताया कि ऐसा बहुत कम होता है, जब कोई यूजर ऐप्स के लिए इतनी बड़ी रकम चुकाए. खासतौर पर तब, जब उनके पास बेहद सस्ते में इन ऐप्स का विकल्प मौजूद हो. ये ऐप्स पाम री​डींग, कैमरा फिल्टर्स, इमेज रीडींग और म्युजिकल इंस्ट्रूमेंट्स जैसे ऐप्स होते हैं.

यूजर्स को झांसे में फंसाने के लिए क्या तरीका इस्तेमाल करते हैं ये ऐप्स?

इन ऐप्स को अरबों बार डाउनलोड किया जा चुका है और ज्यादातर डेवलपर्स के लिए बेहद आकर्षक माने जाते हैं. दरअसल, जो लोग इन ऐप्स को इंस्टॉल करते हैं उनके एक छोटे से हिस्से से भी इन ऐप्स जमकर कमाई होती है.

ये ऐप्स रोचक थीम्स और लुभावने विज्ञापन से लोगों को डाउनलोड करने पर मजबूर करते हैं. जब तक यूजर को पता चलता है, तब तक इन ऐप्स के जरिए अच्छा खासा पैसा वसूल जा चुका होता है.

पॉपुलर सोशल नेटवर्क पर प्रोमोट होते हैं ये ऐप्स

फ्लिकवेयर ऐप्स विज्ञापन करने और ऐप्स को प्रोमोट करने के लिए कई तरह के हथकंडे अपनाते हैं. इन ऐप्स का विज्ञापन आपको आसानी से फेसबुक, इंस्टाग्राम, स्नैपचैट और टिकटॉक जैसे प्लेटफॉर्म पर मिल जाएगा. जब एक बार कोई यूजर इन ऐप्स के विज्ञापन पर टैप करता है, तब उन्हें ऐप स्टोर या प्ले स्टोर के मार्केटप्लेस पर रिडायरेक्ट कर दिया जाता है.

इन ऐप्स की प्रोफाइल की रेटिंग आमतौर पर 4 या 5 स्टार होती है. अधिकतर रेटिंग्स फर्जी होते हैं. बड़ी संख्या में किए गए फर्जी रिव्यू की वजह से जो सही रिव्यू होते हैं, उनपर खास ध्यान नहीं जाता है. इससे यूजर कन्फ्यूज होते हैं और इस बात की संभावना बढ़ जाती है कि वे ऐप को डाउनलोड करें.

0 Response to "सावधान! स्मार्टफोन में हैं ऐसे ऐप्स तो लग सकता है फटका, फर्जी ट्रायल के नाम पर वसूल रहे मोटी रकम"

Post a Comment

JOIN WHATSAPP GROUP

JOIN WHATSAPP GROUP
THE VOICE OF MP WHATSAPP GROUP

JOB ALERTS

JOB ALERTS
JOIN TELEGRAM GROUP

Slider Post