उड़ने की आरज़ू में हवा से लिपट गया - नुसरत मेहंदी शायर भोपाल By The voice of mp Saturday, 9 January 2021 Comment उड़ने की आरज़ू में हवा से लिपट गया पत्ता वो अपनी शाख़ के रिश्तों से कट गया ख़ुद में रहा तो एक समुंदर था ये वजूद ख़ुद से अलग हुआ तो जज़ीरों में बट गया अंधे कुएँ में बंद घुटन चीख़ती रही छू कर मुंडेर झोंका हवा का पलट गया
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