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परिणाम घोषित / एमपी बोर्ड की 10वीं का ऐसा रिजल्ट पहली बार: 62.84 % पास; पहली पोजीशन पर 100% अंक वाले 15 बच्चे

परिणाम घोषित / एमपी बोर्ड की 10वीं का ऐसा रिजल्ट पहली बार: 62.84 % पास; पहली पोजीशन पर 100% अंक वाले 15 बच्चे


  • मध्यप्रदेश टॉपर।मध्यप्रदेश टॉपर।

  • कोरोना... हिंदी के 2, अंग्रेजी का 1 पेपर नहीं हुआ, इसलिए दोनों माध्यम के अलग पूर्णांक
  • फैक्ट... 2019 से 1.52% सुधरा, 65.9% लड़कियां पास, लड़कों से 4.97% ज्यादा


भोपाल. मप्र माध्यमिक शिक्षा मंडल ने शनिवार काे 10वीं कक्षा का रिजल्ट घाेषित किया। इस बार इंग्लिश मीडियम बच्चों का रिजल्ट बेस्ट ऑफ थ्री, जबकि हिंदी मीडियम का रिजल्ट बेस्ट ऑफ फोर के आधार पर तैयार किया गया है।
कोरोना के कारण जिन विषयों के पेपर नहीं हो पाए थे, रिजल्ट में उनके अंकों की जगह सिर्फ उत्तीर्ण लिखा गया है। रिजल्ट शेष विषयों की परीक्षा में प्राप्त अंकों के आधार पर ही बनाया गया है। इस बार 893336 लाख परीक्षार्थियों में से 62.84% पास हुए हैं। जबकि प्राइवेट के 2.04 लाख से ज्यादा उत्तीर्ण हुए हैं। यह पिछले साल के रिजल्ट 61.32% से 1.52% ज्यादा है। 65.97% छात्राएं और 60.09% छात्र सफल हुए हैं। पहली बार 360 विद्यार्थी टॉप-10 में हैं। इनमें भी पहली पोजीशन पर 15 बच्चे है। इनमें भोपाल की कर्णिका मिश्रा समेत 14 बच्चों को 300 में से 300, जबकि पन्ना के चतुर त्रिपाठी को 400 में से 400 अंक मिले हैं।

टॉपर्स में भोपाल संभाग के 5, जबकि टॉप-10 मैरिट में 360 बच्चे

एक साथ 15 टाॅपर कैसे... 220 दिन, मिशन-1000, शिक्षक 600
पहली पोजिशन पर 15 बच्चे टॉपर बने। इसके लिए योजनाबद्ध काम हुआ। हाई व हायर सेकंडरी स्कूलाें में शैक्षणिक कैलेंडर के 220 दिन मिशन-1000 याेजना के तहत कमजाेर बच्चाें काे छांटा गया। विषयवार एक्स्ट्रा क्लासेस लगाई गई। ज्ञानपुंज नाम से विषयवार हर जिले में 12 अाैर प्रदेश में 600 शिक्षकाें की एक विशेष टीम बनाई गई। प्राचार्याें को नेतृत्व की ट्रेनिंग दिलाई गई। जहां अतिथि शिक्षक नहीं थे, वहां ब्लॉक लेवल पर पूल बनाकर शिक्षक भेजे गए।

चिंता का विषय... सप्लीमेंट्री लाने वालाें की संख्या में इजाफा
इस बार सप्लीमेंट्री लाने वाले विद्यार्थियाें की संख्या बढ़ी है। पिछले साल नियमित एवं प्राइवेट स्टूडेंट मिलाकर कुल 1 लाख 35 हजार 299 परीक्षार्थियाें की सप्लीमेंट्री आई थी। इस बार यह संख्या 1 लाख 37 हजार 531 हाे गई। इसके उलट तृतीय श्रेणी में पास हाेने वालाें की तादाद इस बार कम हुई। पिछले साल 1 लाख 64 हजार 492 परीक्षार्थी थर्ड डिवीजन पास हुए थे। इस बार संख्या 1 लाख 58 हजार 7 रह गई। प्रथम श्रेणी के विद्यार्थियाें की तादाद 5440 बढ़ी।

निजी स्कूलाें से बेहतर रहे सरकारी स्कूलाें के नतीजे

इस बार भी निजी स्कूलाें की तुलना में सरकारी स्कूलाें का रिजल्ट प्राइवेट स्कूलाें से बेहतर रहा। सरकारी स्कूलाें का रिजल्ट इस बार 63.64 फीसदी रहा, जबकि निजी स्कूलाें का आंकड़ा 61.65 प्रतिशत रहा। पिछले साल भी सरकारी स्कूलाें के 62.05 फीसदी स्टूडेंट्स पास हुए थे, जबकि निजी स्कूलाें के 60.70 प्रतिशत परीक्षार्थी ही पास हाे सके थे। पिछले साल 144 बच्चे टॉप 10 की मेरिट लिस्ट में थे। इस बार संख्या 360 हो गई।

मां ही मेरी गुरु : कर्णिका मिश्रा

मां मेरी पहली शिक्षक हैं। जब मैं छोटी थी, तब मां ट्यूशन पढ़ाती थीं। इसलिए वे ही मुझे घर पर पढ़ाती थीं। हिंदी और इंग्लिश की रीडिंग और राइटिंग उन्होंने ही सिखाई। मां आज भी काफी संघर्ष कर रही हैं। उनका ऑफिस घर से करीब 20 किमी दूर है। टाइम मैनेजमेंट क्या होता है, ये मैंने उन्हीं से सीखा। मां ने ही सिखाया- हर समस्या का स्माइल कर सामना करो। जब मेरे पिता का देहांत हुआ था, तब मैं छोटी थी, लेकिन मां ने उनकी कमी कभी महसूस नहीं होने दी। वह हमेशा पॉजिटिव मिलीं। आज भी समझाती हैं कि एक छोटी चीज से जिंदगी खत्म नहीं हो जाती। मेरा रिजल्ट मेरी पहली गुरु मां को गुरु दक्षिणा के रूप में समर्पित है।

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