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Madhya Pradesh: रायसेन में टमाटर की बम्पर पैदावार बनी मुसीबत, रेट न मिलने के कारण सड़क पर फेंकने को मजबूर किसान

Madhya Pradesh: रायसेन में टमाटर की बम्पर पैदावार बनी मुसीबत, रेट न मिलने के कारण सड़क पर फेंकने को मजबूर किसान


रायसेन के बाड़ी क्षेत्र में टमाटर की बम्पर पैदावार होने से रेट सही न मिलने के कारण किसान अब टमाटर सड़क पर फेंकने को मजबूर हैं

Madhya Pradesh: रायसेन में टमाटर की बम्पर पैदावार बनी मुसीबत, रेट न मिलने के कारण सड़क पर फेंकने को मजबूर किसान
Tomato

मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के रायसेन (Raisen) जिले की सड़कें इन दिनों टमाटर से लाल हो रही हैं. किसान टमाटर को खेतों से सड़कों पर फेंकने को मजबूर हैं. इसकी वजह यह है कि रायसेन में टमाटर की बम्पर पैदावार हुई है, मगर किसानों को टमाटर के सही दाम न मिलने के कारण टमाटर को जानवरों के लिए सड़कों पर फेंका जा रहा है.

रायसेन जिला मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा टमाटर उत्पादक क्षेत्र है. प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना के तहत रायसेन को टमाटर जिला घोषित किया गया है. रायसेन के किसानों ने बताया कि उन्हें टमाटर की 22 किलोग्राम क्रेट के 40 रुपए मिल रहे हैं, जिससे किसानों की लागत, बीज और कीटनाशक समेत अन्य खर्च तक नहीं निकल पा रहे हैं. टमाटर के दाम नहीं मिलने पर किसान टमाटर फेंकने के लिए मजबूर हैं ताकि ये जानवरों के काम आ सके.

किसानों की लागत तक नहीं हो रही वसूल

गौरतलब है कि रायसेन के बाड़ी क्षेत्र में टमाटर की बम्पर पैदावार होने से रेट सही न मिलने के कारण किसान अब टमाटर सड़क पर फेंकने को मजबूर हैं. टमाटर खेतों में सड़कर खराब होने लगा है. कई बीघा जमीन पर टमाटर की पैदावार करने वाले किसानों को इस बार बीज, दवाईयां और अन्य खर्चों को निकालना भी मुश्किल हो गया है. रायसेन से उत्तर और दक्षिण भारत में काफी ज्यादा मात्रा में टमाटर भेजा जाता था. इसी के चलते लोग यहां दर्जनों एकड़ जमीन में टमाटर की खेती करने लगे हैं. बम्पर पैदवार होने के चलते यहां मंडियों में टमाटर पहुँचने से रेट नहीं मिल रहे हैं. मंडी में बेचने से किसानों को घाटे का सौदा करना पड़ रहा है. उनके लिए डीज़ल, गाड़ी और मजदूरी के पैसे निकालना भी मुश्किल हो रहा है.

मंडी विभाग ने बढ़ाए मदद के हाथ

वहीं किसान सुरेन्द्र कुमार तिवारी ने बताया कि 12 साल से टमाटर की खेती करने वाले किसान 4 एकड़ जमीन में टमाटर लगाए हैं, जिसमें कि लगभग डेढ़ लाख रुपए का खर्च आया है. हालात ये हैं कि एक क्रेट 40 से 50 रुपए में बिक रही है. बारिश के समय में टमाटर का रेट बहुत ज्यादा था. इस वजह से आस-पास के प्रदेशों में जहां टमाटर जाता था वहां के किसानों ने फसल ज्यादा लगा दी. मंडी विभाग ने इस बार प्रयास किया है कि प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना के तहत कुछ किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है और प्रोसैसिंग यूनिट लगाने के लिए किसानों के आवेदन भी आए है.

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