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CJI बोले- किसानों से मिलने के लिए PM से नहीं कह सकते, इन 10 बिंदुओं से समझिए कृषि कानूनों पर SC ने क्या कहा

CJI बोले- किसानों से मिलने के लिए PM से नहीं कह सकते, इन 10 बिंदुओं से समझिए कृषि कानूनों पर SC ने क्या कहा

  • सीजेआई एस. ए. बोबड़े ने कहा कि हम प्रधानमंत्री को यह नहीं कह सकते कि वे किसानों से मिलने जाएं
  • शीर्ष अदालत ने कहा कि वे सुनिश्चित करेंगे कि कृषि कानूनों के तहत कोई खेत न बेचा जाए

 

नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा लागू तीन कृषि कानूनों ( Three Farms Laws ) पर रोक लगाकर सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) ने किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए जो समिति बनाई है, उनमें किसान नेता और कृषि विशेषज्ञ शामिल हैं। डेढ़ महीने से जारी किसानों के विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को तीनों कृषि कानूनों के अमल पर रोक लगा दी और मसले के समाधान के लिए एक समिति बनाने की घोषणा की। सीजेआई एस. ए. बोबड़े ने कहा कि हम प्रधानमंत्री को यह नहीं कह सकते कि वे किसानों से मिलने जाएं। इन 10 बिंदुओं से समझिए कृषि कानूनों पर SC ने क्या कहा-


1. सुप्रीम कोर्ट ने किसानों के एक वकील की उन दलीलों को खारिज कर दिया, जिसमें कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विवादास्पद कृषि कानूनों पर चर्चा करने के लिए अब तक आंदोलनकारी किसानों से नहीं मिले हैं।

2. न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना और वी. रामासुब्रमण्यन के साथ ही प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) एस. ए. बोबड़े और ने कहा कि हम प्रधानमंत्री को जाने के लिए नहीं कह सकते। वह यहां पर पार्टी नहीं हैं।

3. CJI एस ए बोबडे ने अफवाओं को खारिज करते हुए कहा कि किसी भी किसान की जमीन नहीं बिकेगी। उन्होंने कहा कि हम समस्या का समाधान चाहते हैं। इन्हीं अधिकारों में से एक कृषि कानूनों को सस्पेंड करने का भी अधिकार है।

4. सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि हमारे पास कमेटी बनाने का अधिकार है। इसलिए जो लोग वास्तव में इस समस्या का समाधान चाहते हैं, कमेटी के पास जा सकते हैं।


5. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम कृषि कानून से जुड़े प्रत्येक तथ्य का जमीनी विश्लेशन करना चाहते हैं। यही वजह है कि इसके लिए एक कमेटी का गठन किया जा रहा है। इस कमेटी के पास कोई भी जा सकता है। कमेटी हमें अपनी रिपोर्ट सौंपेंगी।

6. CJI बोबडे ने किसानों के वकील दवे के हवाले से कहा कि किसान गणतंत्र दिवस यानी 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली नहीं निकालेंगे। ऐसे में अगर किसान केंद्र के सामने जा सकते हैं तो कमेटी के समक्ष क्यों नहीं?

7. सीजेआई ने कहा कि अगर किसान वास्तव में समस्या का हल चाहते हैं, तो वो कमेटी के पास जाएं और अपने बिंदू रखें। सीजेआई ने कहा कि हमारा उद्देश्य यह है कि कोई जानकार व्यक्ति (कमेटी) किसानों के पास जाए और बिंदुवार बहस करें कि आखिर समस्या कहां है?

8. सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि हम कृषि कानूनों के गुण और दोषों के मूल्यांकन के लिए एक कमेटी का गठन कर रहे हैं। यह एक न्यायिक प्रक्रिया है और ऐसे करने से उसको कोई शक्ति नहीं रोक सकती।

9. सीजेआई ने कहा कि अब कमेटी की रिपोर्ट से पता चलेगा कि कानूनों से किन प्रावधानों को हटाया जाना है। CJI ने आगे कहा कि हम कृषि कानूनों को निलंबित कर रहे हैं हालांकि यह एक समय विशेष के लिए होगा।

10. चीफ जस्टिस ने उन विशेषज्ञों के नाम भी बताए जो इस कमेटी में शामिल होंगे। उनके नाम हैं - कृषि वैज्ञानिक अशोक गुलाटी, डॉ. प्रमोद कुमार जोशी, अनिल धनवत और बी. एस. मान।

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