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बैंकों में आम आदमी का पैसा ना डूबे…इसके लिए RBI लाया ICMTS सिस्टम, जानिए इसके बारे में सबकुछ

बैंकों में आम आदमी का पैसा ना डूबे…इसके लिए RBI लाया ICMTS सिस्टम, जानिए इसके बारे में सबकुछ


आम लोगों के पैसों को सेफ करने के लिए RBI ने बड़ा कदम उठाया है. नए सिस्टम के जरिए अब आसानी से सभी बैंकों पर नज़र रखी जा सकेगी. आइए जानें इसके बारे में....

बैंकों में आम आदमी का पैसा ना डूबे...इसके लिए RBI लाया ICMTS सिस्टम, जानिए इसके बारे में सबकुछ
RBI ला रहा है नया सिस्टम

बीते कुछ महीनों में कई सहकारी बैंकों के लाइसेंस रद्द करने की खबरें आई है. ऐसे में सबसे बड़ी समस्या ग्राहकों के सामने खड़ी हो जाती है. RBI सख्त कार्रवाई करते हुए बैंक से डिपॉजिट निकालने की एक सीमा तय कर देता है. ग्राहक अपनी जमा रकम भी नहीं निकाल पाते है. इसीलिए अब आगे बैक न डूबे और उनकी आर्थिक सेहत का पता चलता रहे. इसको लेकर आरबीआई (RBI- Reserve Bank of India) ने बड़ा कदम उठाया है. RBI एक नया सिस्टम ICMTS-Integrated Compliance Management and Tracking System लागू करने जा रहा है. RBI ने इस सिस्टम की पूरी जानकारी अपनी सालाना रिपोर्ट में जारी की है. आइए जानें इसके बारे में…

क्या है RBI का नया सिस्टम

एक्सपर्ट्स का कहना है कि आरबीआई ICMTS-Integrated Compliance Management and Tracking System के जरिए बैंकों की निगरानी बेहतर तरीके से कर पाएगा. जी हां, इस इंटरग्रेटिड सिस्टम में सभी बैंक आपस में जुड़े रहेंगे और डेटा शेयर करेंगे. इससे सही समय पर बैंक के डूबने वाले कर्जों की जानकारी मिल जाएगी.

RBI की सालाना रिपोर्ट में बताया गया है कि यह एक वेब-आधारित इंटरफ़ेस होगा. इससे सभी बैंक और एनबीएफसी (NBFC-Non Banking Financial Companies) जुड़ी रहेंगी.

इसके जरिए सभी साइबर घटानाओं की ऑनलाइन रिपोर्टिंग हो पाएगी. साथ ही, ये डेटा सभी बैंक और एनबीएफसी रियल टाइम में मिलता रहेगा.

आम लोगों के पैसों को डूबने से बचाने में मिलेगी मदद

बैंकिंग एक्सपर्ट्स बताते हैं कि इस सिस्टम से बैंकों में धोखाधड़ी रोकने में मदद मिलेगी. उदाहरण के तौर पर समझें तो अगर कोई व्यक्ति  या कंपनी देश के किसी सरकारी बैंक से पैसा लेती है.

लेकिन लोन नहीं चुकाने पर डिफॉल्ट हो जाता है तो उसका डेटा सभी बैंकों और एनबीएफसी के पास भेज दिया जाएगा. ऐसे में लोन की सही से ट्रैकिंग हो पाएगी. साथ ही, बैंकों के ये भी पता चलता रहेगा कि किस सेक्टर में ज्यादा डिफॉल्ट हो रहा है.

लिहाजा बैंकों और एनबीएफसी कंपनियों की जानकारी रियलटाइम में RBI को मिलती रहेगी. ऐसे में RBI समय समय पर कदम उठाकर आम लोगों के पैसों को सेफ कर सकेगा.

RBI आसानी से उठा सकेगा कदम

ICMTS से देश के अच्छी सेहत और खराब सेहत वाले सेक्टर्स की जानकारी भी RBI को आसानी से और तेजी से मिल जाएगी. ऐसे में RBI उन सेक्टर्स के लिए कदम उठाकर उनकी आर्थिक सेहत को बेहतर बनाने का काम करेगा.

बैंक के डूबने पर कितने पैसे सुरक्षित

DICGC एक्ट, 1961 की धारा 16 (1) के प्रावधानों के तहत, अगर कोई बैंक डूब जाता है या दिवालिया हो जाता है, तो DICGC प्रत्येक जमाकर्ता को भुगतान करने के लिए उत्तरदायी होता है.

उसकी जमा राशि पर 5 लाख रुपये तक का बीमा होगा. आपका एक ही बैंक की कई ब्रांच में खाता है तो सभी खातों में जमा अमाउंट और ब्‍याज जोड़ा जाएगा और केवल 5 लाख तक जमा को ही सुरक्षित माना जाएगा.

इसमें मूलधन और ब्‍याज (Principal and Interest) दोनों को शामिल किया जाता है. मतलब साफ है कि अगर दोनों जोड़कर 5 लाख से ज्यादा है तो सिर्फ 5 लाख ही सुरक्षित माना जाएगा.

इसे आसान भाषा में समझें. मान लीजिए किसी बैंक में आपका पैसा फंसा है लेकिन वह बैंक दिलालिएपन की कगार पर है. बैंक चल तो रहा है लेकिन उसके कभी भी बंद होने की आशंका है. गहरे घाटे में जा रहे बैंक की माली हालत खास्ता है.

ऐसे में जमाकर्ता को लगता है कि उसका पैसा डूब सकता है तो वह चाहे तो अपना पैसा निकाल सकता है. साल भर पहले ऐसा नहीं था.

इस नए कानून को डिपॉजिट स्कीम का नाम दिया गया है. इस स्कीम के जरिये जमाकर्ता को बैंक के नाकाम होने पर भी तुरंत 5 लाख रुपये मिलेंगे.

डीआईसीजीसी के दायरे में बैंक का सभी डिपॉजिट आता है. इसमें सेविंग्स अकाउंट, फिक्सड डिपॉजिट अकाउंट, करंट अकाउंट आदि शामिल होता है.

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