माँ और बेटे की प्रेरणादायक कहानी | Mother And Son Inspirational Story In Hindi
आज मैं आप सबको जो प्रेरणादायक कहानी सुनाने जा रही हूँ उसका नाम है “माँ और बेटे की प्रेरणादायक कहानी (Mother And Son Inspirational Story in Hindi).
माँ और बेटे की कहानी
Mother And Son Inspirational Story In Hindi
एक व्यक्ति, जो की अपने जीवन में काफी सफल हो चूका था और एक दिन अपने माँ के पास गया और बोला, “माँ आज जो कुछ भी मेरे पास है, मैं जिस सफलता के बुलंदियों को पा चूका हूँ वह सब आपकी प्यार और ममता के ही देन है इसलिए माँ मैं चाहता हूँ आपने जो प्यार दिया मैं उसका ऋण चुकता करना चाहता हूँ।”
यह सुनकर माँ आश्चर्यचकित हो गई और बोली, “नहीं बेटा, मुझे अपने प्यार और ममता के बदले कुछ भी नहीं चाहिए। ये तो मेरा फर्ज था जो की मैंने अपने संतान के लिए किया।”
लेकिन वह व्यक्ति बार-बार जिद करने लगा, “नहीं माँ मैं आपके प्यार और ममता के बदले कुछ देना चाहता हूँ। माँ आप मांगो तो सही।”
बार-बार जिद करने पर माँ बोली, “ठीक है क्या तुम मेरे साथ जैसे बचपन में सोते थे वैसे सो सकते हो क्या।”
यह बात सुनकर वह व्यक्ति बोला, “बस इतनी सी बात है तो मैं जरूर आज रात अपनी माँ के पास सोऊंगा।”
जैसे ही रात को वह व्यक्ति अपनी माँ के पास सो गया माँ उठकर एक मग पानी ले आती है और जहाँ वह सोयी थी उस तरफ पानी डाल देती है जिससे धीरे-धीरे वह पानी उस व्यक्ति की तरफ भी चला गया और फिर नमी से वह व्यक्ति परेशानी महसूस करने लगा और दूसरी तरफ खिसक गया।
उसके बाद माँ ने और पानी डाल दिया जिससे जिससे उधर नमी महसूस हुआ था वह तुरंत उठ गया और अपनी माँ के हाथ में मग देखकर गुस्से से बोला, “आप क्या कर माँ? मुझे सोने क्यों नहीं देती हो? आप मुझे भला गीली बिस्तर पर कैसे सुला सकती हो?”
उसकी माँ बोली, “बेटे जब तुम बचपन में मेरे साथ सोते थे तो ऐसे ही तुम भी बिस्तर गीली कर देते थे और फिर दूसरी तरफ में तुम्हे करके खुद गीली स्थान पर सो जाती थी। तुम तो मेरे प्यार और ममता का चुकाना चाहते हो जो मैंने तुम्हारे लिए किया था क्या तुम मेरे लिए थोड़ा सा भी एक रात के लिए गीले में सो नहीं सकते हो। यदि तुम ऐसा कर सकते हो तो मैं समझ जाऊँगी की तुमने मेरे ममता का कर्ज चूका दिया है।”
माँ की बातें सुनकर अब उस व्यक्ति की आंखे खुल गई थी। उसे अब समझ आ चुकी थी की जो माँ अपने न जाने कितने रातों को मेरी ख़ुशी के लिए असेही गुजार दिए हैं भला उस माँ का कर्ज कैसे चुकता किया जा सकता है। अब वह अपने किये पर शर्मिंदा था।
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