बसंत गौरी, जो गर्मियों में 'टुक टुक' करते रहते हैं, पेड़ के तने में गहरा छेद बनाकर उसमें अंडे रखते हैं।
दर्जिन चिड़िया का तो, जैसा नाम वैसा काम।
वह पोला अपनी नुकीली चोंच से पत्तों दर्जिन चिड़िया को सी लेती है और उसके बीच में बनी थैली को अंडे देने के लिए तैयार करती है। यही है उसका घोंसला।
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