
कुंभलगढ़ का किला - आइये जाने इसके बारे में
कुंभलगढ़ किले के इतिहास में एक बहुत ही रोचक कहानी सामने आती है। जिसके अनुसार जब राणा कुंभा ने किले का निर्माण शुरू किया तो उन्हें कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा था जिसके बाद उन्होंने इसके निर्माण का कार्य छोड़ देने का विचार किया। लेकिन एक दिन उन्हें एक पवित्र व्यक्ति से मिला जिसने उन्हें इस किले के निर्माण को न छोड़ने की सलाह दी और कहा कि एक दिन उसकी सारी समस्या दूर हो जाएगी। बशर्ते कोई भी पवित्र व्यक्ति स्वेच्छा से अपने जीवन का बलिदान कर दे। यह सुनकर राजा निराश हो गया जिसके बाद उस पवित्र व्यक्ति ने अपना जीवन राजा को अर्पित कर दिया। उन व्यक्ति ने राजा से कुंभलगढ़ किले के प्रवेश द्वार का निर्माण करने के लिए कहा। उस व्यक्ति की सलाह के बाद राणा कुंभा ने वही किया जो उन्हें बताया गया था और वो इस राजसी किले के निर्माण में सफल रहे।
कुंभलगढ़ ने मेवाड़ और मारवाड़ के बीच अलग-अलग क्षेत्रों को चिह्नित किया और जब भी कोई हमला हुआ है तो इससे बचने के लिए इस जगह का इस्तेमाल किया गया था। राजकुमार उदय भी ने कुंभलगढ़ फोर्ट पर शासन किया और वे उदयपुर शहर के संस्थापक थे। यह किला अंबर के राजा मान सिंह, मारवाड़ के राजा उदय सिंह और गुजरात के मिर्जों के बीच अस्तित्व बना रहा। कुंभलगढ़ किले को उस स्थान के रूप में भी जाना जाता है जहां पर महाराणा प्रताप का जन्म हुआ था और इस किले पर 1457 में गुजरात के अहमद शाह प्रथम ने हमला किया था। यहां के स्थनीय लोगों का मानना है कि किले में बाणमाता देवी मौजूद थी जो इस किले की रक्षा करती थी, जिनके मंदिर को अहमद शाह ने नष्ट कर दिया था। इसके बाद मोहम्मद खिलजी ने 1458-59 और 1467 में इस किले को हासिल करने के लिए कई प्रयास किये गए। लेकिन अकबर के सेनापति शंभाज खान ने 1576 में किले पर अधिकार हासिल कर लिया था। इसके बाद मराठों और भवनों के साथ मंदिरों पर भी कब्जा कर लिया गया था।
कुंभलगढ़ किले की वास्तुकला – Architecture Of Kumbhalgarh Fort In Hindi
कुंभलगढ़ किले की भव्य दीवार जो पूरे किले से गुजरती है, जो ‘द ग्रेट वॉल ऑफ चाइना’ के बाद दुनिया की दूसरी सबसे लंबी दीवार माना जाता है। इसलिए इसे ‘द ग्रेट वॉल ऑफ इंडिया’ भी कहा जाता है। यह दीवार 36 किमी तक फैली हुई है और 15 मीटर चौड़ी है जो कि आठ घोड़ों के एक साथ चलने के लिए चलने पर्याप्त है।
कुंभलगढ़ किले के अंदर मुख्य स्मारक – Main Monuments Inside Kumbhalgarh Fort In Hindi
गणेश मंदिर – Ganesh Temple
गणेश मंदिर को किले के अंदर बने सभी मंदिरों में सबसे प्राचीन माना जाता है, जिसको 12 फीट (3.7 मीटर) के मंच पर बनाया गया है। इस किले के पूर्वी किनारे पर 1458 CE के दौरान निर्मित नील कंठ महादेव मंदिर स्थित है।
वेदी मंदिर- Vedi Temple
राणा कुंभा द्वारा निर्मित वेदी मंदिर हनुमान पोल के पास स्थित है, जो पश्चिम की ओर है। वेदी मंदिर एक तीन-मंजिला अष्टकोणीय जैन मंदिर है जिसमें छत्तीस स्तंभ हैं, जो राजसी छत का समर्थन करते हैं। बाद में इस मंदिर को महाराणा फतेह सिंह द्वारा पुनर्निर्मित किया गया था।
पार्श्वनाथ मंदिर- Parsvanatha Temple
पार्श्व नाथ मंदिर (1513 के दौरान निर्मित) पूर्व की तरफ जैन मंदिर है और कुंभलगढ़ किले में बावन जैन मंदिर और गोलरा जैन मंदिर प्रमुख जैन मंदिर हैं।
बावन देवी मंदिर – Bawan Devi Temple
बावन देवी मंदिर का नाम एक ही परिसर में 52 मंदिरों से निकला है। इस मंदिर में केवल एक प्रवेश द्वार है। बावन मंदिरों में से दो बड़े आकार के मंदिर हैं जो केंद्र में स्थित हैं। बाकी 50 मंदिर छोटे आकार के हैं।
कुंभ महल- Kumbha Palace
गडा पोल के करीब स्थित कुंभ महल राजपूत वास्तुकला के बेहतरीन संरचनाओं में से एक है। यह एक दो मंजिला इमारत है जिसमें एक सुंदर नीला दरबार है।
बादल महल -Badal Mahal
राणा फतेह सिंह (1885-1930 ईस्वी) द्वारा निर्मित यह कुंभलगढ़ किले का उच्चतम बिंदु है। इस महल तक पहुंचने के लिए संकरी सीढ़ियों से छत पर चढ़ना पड़ता है। यह दो मंजिला इमारत है जिसमें पेस्टल रंगों को चित्रित किया गया है।
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