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बैंक डूबे तो भी नहीं डूबेगा आपका पैसा, 3 महीने के अंदर मिलेगी पूरी रकम… जानें सभी जरूरी सवालों के जवाब

बैंक डूबे तो भी नहीं डूबेगा आपका पैसा, 3 महीने के अंदर मिलेगी पूरी रकम… जानें सभी जरूरी सवालों के जवाब



केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को हुई बैठक में इस संबंध में बड़ा फैसला लेते हुए DICGC एक्ट में बदलाव को मंजूरी दे दी है. संसद के मौजूदा सत्र में ही इस बिल को सदन में रखा जाएगा

बैंक डूबे तो भी नहीं डूबेगा आपका पैसा, 3 महीने के अंदर मिलेगी पूरी रकम... जानें सभी जरूरी सवालों के जवाब
पीएमसी बैंक फ्रॉड से बहुत सारे जमाकर्ता प्रभावित हुए हैं (File Photo)

पीएमसी यानी पंजाब एंड महाराष्ट्र कोऑपरेटिव बैंक (PMC), लक्ष्मी विलास बैंक, येस बैंक और कई अन्य सहकारी बैंकों के ग्राहक आज भी अपने पैसों के लिए परेशान हैं. बैंकों के डूबने की स्थिति में निवेशकों को पैसा डूब जाने का खतरा रहता है. लेकिन भविष्य में ऐसी स्थिति में बैंक डिपॉजिटर्स को कोई परेशानी नहीं होगी. बैंक डूब जाने पर भी उन्हें 3 महीने के अंदर उनका पैसा वापस मिल जाएगा.

केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को हुई बैठक में इस संबंध में बड़ा फैसला लेते हुए DICGC एक्ट में बदलाव को मंजूरी दे दी है. संसद के मौजूदा सत्र में ही इस बिल को सदन में रखा जाएगा. इस बिल के पास होते ही कानून में हुए बदलाव को मान्यता मिल जाएगी और बैंक ग्राहकों को भविष्य में टेंशन लेने की जरूरत नहीं होगी.

क्या है DICGC, क्या काम करता है?

DICGC यानी डिपॉजिट इंश्योरेंस क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन. यह रिजर्व बैंक के अधीन एक निगम है, जिसे निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम (Deposit Insurance and Credit Guarantee Corporation) कहा जाता है. असल में यह भारतीय रिजर्व बैंक का सब्सिडियरी है और यह बैंक​ डिपॉजिट्स पर बीमा कवर उपलब्ध कराता है.

DICGC बैंकों में सेविंग, करंट, रेकरिंग अकाउंट या फिर फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) आदि स्कीम्स में जमा 5 लाख रुपये तक की रकम सुरक्षित करती है. अगर कोई बैंक डिफॉल्टर हो जाता है तो उसके हर डिपॉजिटर को मूल रकम और ब्याज मिलाकर अधिकतम 5 लाख रुपये तक की रकम DICGC अदा करवाएगा.

कितना बदल जाएगा DICGC एक्ट, आपको क्‍या फायदे होंगे?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई कैबिनेट मीटिंग में डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) एक्ट में संशोधन को मंजूरी दी गई है. अब इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (amendment) बिल, 2021 को संसद के मॉनसून सत्र में रखा जाएगा. पास होने पर यह संशोधन एक्‍ट के रूप में पारित हो जाएगा.

इस एक्‍ट के तहत पहले जमाकर्ताओं के अधिकतम एक लाख रुपये तक के निवेश सुरक्षित रहते थे. इसी में बदलाव करते हुए इसे 5 लाख तक बढ़ाया गया है. इसके साथ ही खाताधारकों के पैसा रिटर्न होने की समयसीमा 90 दिन यानी 3 महीने निर्धारित की गई है. इस संशोधन से खाताधारकों और निवेशकों के इन्‍वेस्‍टमेंट को एक तरह से इंंश्‍योरेंस कवर मिलेगा.

पहले क्या थे नियम, कैसे मिलते थे ग्राहकों के पैसे?

अबतक नियम ऐसा है कि बैंक डूबने के बाद डिपॉजिटर्स को पैसे तब तक नहीं मिलते हैं, जब तक रिजर्व बैंक कई तरह की प्रक्रियाएं नहीं पूरी करता. आरबीआई द्वारा जब किसी बैंक का लाइसेंस कैंसिल किया जाता है या फिर बैंक दिवालिया हो जाता है, तब उसके लिक्विडेशन यानी संपत्ति वगैरह बेचने की प्रक्रिया शुरू होती है. इसी से एक सीमा तक जमाकर्ताओं के इन्वेस्टमेंट की भरपाई की जाती है. इसकी वजह से लंबे समय उन्हें एक पैसा नहीं मिलता. अब एक्ट में बदलाव से ग्राहकों को बड़ी राहत मिलेगी.

कभी 30 हजार तक की ही गारंटी हुआ करती थी

रिपोर्ट्स के मुताबिक, मई 1993 से पहले तक डिपॉजिटर को बैंक डूबने की परिस्थिति में उनके खाते में जमा 30,000 रुपये तक की रकम पर ही वापसी की गारंटी हुआ करती थी. वर्ष 1992 में एक सिक्योरिटी स्कैम के कारण इसमें बदलाव किया गया. तब बैंक ऑफ कराड के दिवालिया हो जाने के बाद इंश्योर्ड डिपॉजिट की रकम की सीमा बढ़ाकर 1 लाख रुपए की गई थी.

बजट 2021 में बढ़ाया गया है बैंक कवर

जिस बैंक में आपका पैसा जमा है, अगर वह डूब जाता है और आपके अकाउंट से पैसा निकालने पर रोक लगा दी जाती है, तो चिंता की बात नहीं. आपकी 5 लाख रुपए तक की जमा राशि सुरक्षित रहेगी. आपको यह राशि 90 दिन यानी करीब 3 महीने में वापस मिल जाएगी. सरकार ने डीआईसीजीसी एक्ट में बदलाव करते हुए ये नियम और समयसीमा तय की है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2021 में बैंक कवर बढ़ाने का ऐलान किया था, जिसके मुताबिक, DICGC एक्ट के तहत बैंकों में जमा 1 लाख की बजाय अब 5 लाख तक की रकम इंश्योर्ड यानी सुरक्षित रहेगी.

कब और किसने दिया था सुझाव, क्यों किया गया एक्ट में बदलाव?

वर्ष 2011 में आई रिजर्व बैंक की कमेटी ऑन कस्टमर सर्विस इन बैंक्स की रिपोर्ट में बैंक डिपॉजिट के सिक्योरिटी कवर को बढ़ाकर 5 लाख रुपए करने का सुझाव दिया गया था. अब सरकार ने इसे मान लिया है. केंद्रीय वित्त मंत्री ने बजट में बैंक कवर बढ़ाए जाने संबंधी यह ऐलान किया था.

एक्सपर्ट्स बताते हैं कि पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक में हुए फ्रॉड के बाद किया था. इस बीच वित्तीय संकट में फंसे यस बैंक ने भी बैंक में रोजाना की निकासी पर लिमिट लगा दी थी. अब अगर बाय चांस बैंक डूब भी गए तो DICGC के कवर के मुताबिक, जमाकर्ता को उनका पैसा तय समयसीमा के अंदर मिल जाएगा.

क्या आपका बैंक DICGC के दायरे में आता है?

डीआईसीजीसी के दायरे में बैंक के सभी डिपॉजिट्स आते हैं. इसमें सेविंग्स अकाउंट, फिक्सड डिपॉजिट अकाउंट, करंट अकाउंट वगैरह शामिल होता है. जहां तक बैंकों की बात है, सरकार ने कहा है कि इसके तहत कॉमर्श‍ियली ऑपरेटेड सभी बैंक आएंगे, चाहे वह ग्रामीण बैंक क्यों न हों.

किसी भी बैंक को रजिस्टर करते समय में डीआईसीजीसी उन्हें प्रिंटेड पर्चा देता है, जिसमें डिपॉजिटर्स को मिलने वाली इंश्योरेंस के बारे में जानकारी होती है. अगर किसी डिपॉजिटर को इस बारे में जानकारी चाहिए होती है तो वे बैंक ब्रांच के अधिकारी से इस बारे में पूछताछ कर सकते हैं.

अगर एक ही बैंक की अलग-अलग ब्रांच में 5 लाख से ज्‍यादा रकम हो तो?

डीआईसीजीसी किसी बैंक में जमा 5 लाख तक की रकम की ही गारंटी देता है. ऐसे में यह सवाल भी लोगों के मन में यह सवाल उठना भी लाजमी है कि अगर एक ही बैंक के विभिन्न ब्रांचों में 5 लाख से ज्यादा रकम जमा हो तो उन्हें कितने पैसे मिलेंगे.. क्या हर ब्रांच में 5 लाख इंश्योरर्ड डिपॉजिट होगी?  एक्सपर्ट बताते हैं कि एक ही बैंक के कई ब्रांचों की कुल डिपॉजिट पर अधिकतम 5 लाख रुपये की रकम ही इंश्योर्ड होती है.

इसे आसान भाषा में ऐसे समझें तो किसी बैंक की एक शाखा में आपने 4 लाख जमा करवा रखे हैं और दूसरे ब्रांच में 7 लाख रुपये तो इसका मतलब यह नहीं है कि 4+7 यानी 11 लाख रुपये में से आपको 10 लाख रुपये मिल जाएंगे. बैंक के डिफॉल्ट होने पर या डूबने पर आपके सिर्फ 5 लाख रुपये ही सुरक्षित माने जाएंगे यानी आपको 11 लाख की जगह 5 लाख ही मिलेंगे.

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