गाय के गोबर से पेंट बनाने की फैक्ट्री कैसे खोलें, कहां मिलेगा प्रशिक्षण, कितना आएगा खर्च और कैसे होगी कमाई?
Cow Dung Paint Factory: गोबर से पेंट बनाने की फैक्ट्री खुलवाने की तैयारी में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम मंत्रालय खास प्लान तैयार कर रहा है. इसके लिए प्रशिक्षण की जरूरत भी पड़ेगी.
भारतीय परंपरा में किसी भी शुभ कार्य में, पर्व-त्यौहार में या अन्य विशेष मौकों पर मिट्टी के घर को गोबर (Cow Dung) से लीपने की परंपरा रही है. हालांकि पक्के मकानों में यह परंपरा फर्श धुलने और पेंट कराने के तौर पर बदल गई. लेकिन गोबर से तैयार होने वाले पेंट (Paint from cow dung) में दोनों समाहित हैं. यानी पक्के मकान को गोबर से लीप नहीं सकते, लेकिन गोबर से तैयार पेंट (Cow Dung Paint) से रंगाई-पुताई तो करवा ही सकते हैं. इसे लोग पुरानी परंपरा और बदलाव का मिश्रण भी कह रहे हैं.
केंद्रीय सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने 12 जनवरी को खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग की ओर से गोबर से तैयार होने वाले पेंट को लॉन्च किया था. केंद्रीय मंत्री के मुताबिक, कुछ ही दिनों में इसकी मांग बाजार में तेजी से बढ़ रही है. इसी मांग को देखते हुए नितिन गडकरी ने हर गांव में इससे रोजगार के अवसर बढ़ाने का सपना देखा है. उनका यह सपना साकार हुआ तो देश के लाखों गांवों में गोबर से पेंट बनाने की फैक्ट्री खोली जा सकेगी.
गोबर से मोटी कमाई का जरिया बनेगी फैक्ट्री
ग्रामोद्योग आयोग के मुताबिक, सिर्फ एक मवेशी के गोबर से किसान हर साल 30 हजार रुपए की कमाई कर सकता है. गांव के किसानों और गौ पालकों के लिए इससे अच्छी खबर क्या हो सकती है! पहले गोबर का प्रयोग वे केवल खाद तैयार करने के लिए करते थे. खेती—किसानी या बागवानी के लिए इस्तेमाल होने लायक गोबर के बाद बचे गोबर से महिलाएं गोइठा और उपले तैयार करती थीं. लेकिन इससे अच्छी कमाई नहीं हो पाती थी. कुछ किसान या गांव के लोग मिलकर गोबर से पेंट बनाने की फैक्ट्री लगा लेंगे तो इससे मोटी कमाई होगी.
कैसे खोलें फैक्ट्री, कितना आएगा खर्च?
केंद्रीय एमएसएमई मंत्री नितिन गडकरी गोबर से पेंट बनाने की फैक्ट्री खुलवाने की तैयारी में जुटे हुए हैं. इसके लिए सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम मंत्रालय खास प्लान तैयार कर रहा है. इसके लिए प्रशिक्षण की जरूरत भी पड़ेगी. गोबर से पेंट बनाने के लिए एक फैक्ट्री (cow dung Paint making factory) खोलने में करीब 15 लाख रुपये का खर्च आ सकता है. मंत्रालय का मानना है कि केंद्रीय मंत्री का यह सपना साकार हुआ तो गांव में ही रोजगार के अवसर पैदा होंगे और गांवों से शहरों की ओर पलायन रुकेगा.
कहां और कैसे मिलेगा प्रशिक्षण?
केंद्रीय मंत्री गडकरी के मुताबिक, गोबर से बना यह अनोखा प्राकृतिक पेंट लॉन्च होने के बाद से मार्केट डिमांड में है. आईएएनएस की रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्रीय मंत्री गडकरी ने पिछले साल मार्च में ही गोबर से पेंट बनाने के लिए खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग को प्रेरित किया था. आखिरकार, राजस्थान की राजधानी जयपुर स्थित खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) की यूनिट कुमारप्पा नेशनल हैंडमेड पेपर इंस्टीट्यूट ने इस तरह के अनोखे पेंट को तैयार करने में सफलता हासिल की. जयपुर स्थित इस यूनिट ने इसके लिए एक फैक्ट्री सह प्रशिक्षण केंद्र भी बनाया. यहां लोगों को प्रशिक्षण दिया जाता है.
कितने दिनों की होती है ट्रेनिंग?
गोबर से पेंट बनाने की ट्रेनिंग की डिमांड भी खूब है. फिलहाल खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग की जयपुर यूनिट में अभी ट्रेनिंग की व्यवस्था है. यह ट्रेनिंग पांच से सात दिनों की ट्रेनिंग होती है. केंद्रीय मंत्री के मुताबिक, ट्रेनिंग के लिए इतने ज्यादा आवेदन आए कि सबकी ट्रेनिंग नहीं हो पा रही है. फिलहाल 350 से ज्यादा लोग वेटिंग लिस्ट में हैं. ऐसे में मंत्रालय ट्रेनिंग सुविधा बढ़ाने पर ध्यान दे रहे हैं. ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग ट्रेनिंग प्राप्त कर गोबर से पेंट बनाने की फैक्ट्री खोल पाएं.
ईकोफ्रेंडली और गंधहीन है पेंट, फफूंद भी नहीं लगती
खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग द्वारा गोबर से बना प्राकृतिक पेंट ईकोफ्रेंडली है. यह पहला ऐसा पेंट है, जो विष-रहित होने के साथ जीवाणु-रोधी और फफूंद-रोधी गुणों से भरपूर है. गाय के गोबर से तैयार यह पेंट गंधहीन है. इसे भारतीय मानक ब्यूरो ने प्रमाणित किया है. यह पेंट फिलहाल दो रूपों- डिस्टेंपर और प्लास्टिक इम्यूलेशन पेंट में उपलब्ध है. इस पेंट में सीसा, पारा, क्रोमियम, आर्सेनिक, कैडमियम जैसे भारी धातुओं का असर नहीं है
बिहार के लोग कैसे आवेदन करें।
ReplyDeletePlease guide to me training in paint manufacturer
ReplyDeleteHum cow dung paint ki training lena chhahte hai.
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