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चीन का वो बैंक जो भारतीय कंपनियों में खरीद रहा है हिस्सेदारी

चीन का वो बैंक जो भारतीय कंपनियों में खरीद रहा है हिस्सेदारी


बीते साल पीपल्स बैंक ऑफ चाइन के इन्वेस्टमेंट को लेकर भारत में कोहराम मच गया था. अब फिर सेचीन का सेंट्रल बैंक की भारत में बड़े निवेश की खबरें आ रही है

चीन का वो बैंक जो भारतीय कंपनियों में खरीद रहा है हिस्सेदारी

बीते साल एक ओर भारत घरेलू स्तर पर कोरोना संक्रमण से जूझ रहा था. वहीं, दूसरी ओर सीमा पर चीन ने टेंशन बढ़ा दी थी. इसके अलावा चीन के सेंट्रल बैंक पीपल्स बैंक ऑफ चाइना ने भारतीय कंपनियों में हिस्सेदारी खरीदनी शुरू कर दी. हालांकि, हालांकि, केंद्र सरकार ने इस ओर तुरंत कार्रवाई करते हुए हुए एफडीआई नियमों को सख्त कर दिया. अब खबर आ रही है कि  पीपल्स बैंक ऑफ चाइना भारत में बड़ा निवेश कर रहा है.

पीपल्स बैंक ऑफ चाइना के बारे में जानिए

1 दिसंबर 1948 को बैंक इस बैंक की स्थापना हुई थी. तीन बैंक Huabei Bank, Beihai Bank, Xibei Farmer Bank को मिलाकर पीपल्स बैंक ऑफ चाइना बनाया गया. इसका सबसे पहले मुख्यालय Shijiazhuang में था फिर Hebei में बनाया गया. अब चीन की राजधानी बीजिंग में इसका मुख्यालय है.

भारतीय सेंट्रल बैंक की तरह पीपल्स बैंक ऑफ चाइन का एक गवर्नर होता है और कई डिप्टी गवर्नर होते है. PBoC के गवर्नर को नेशनल पीपुल्स कांग्रेस या उसकी स्थायी समिति द्वारा नियुक्त या हटाया जाता है.

PBoC के गवर्नर के लिए उम्मीदवार को नेशनल पीपुल्स कांग्रेस द्वारा और पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के प्रमुख द्वारा नोमिनेट किया जाता है.

जब नेशनल पीपुल्स कांग्रेस नहीं चल रहा होता है तो स्थायी समिति PBoC के गवर्नर के लिए उम्मीदवारी का प्रतिबंध लगा देती है पीबीसी के डिप्टी गवर्नर को राज्य परिषद के प्रमुख द्वारा नियुक्त या पद से हटा सकते है.

PBoC को संभालने की जिम्मेदारी गवर्नर के पास होती है. आपको बता दें कि मौजूदा समय में PBoC  के पास रखे कुल फंड की वैल्यू 3.21 लाख करोड़ डॉलर है. दुनिया में सबसे ज्यादा फंड इसी सेंट्रल बैंक के पास है.

1600 से ज्यादा भारतीय कंपनियों में लगे है चीन के 7500 करोड़ रुपये

देश की 1,600 से भी अधिक भारतीय कंपनियों को अप्रैल 2016 से मार्च 2020 के दौरान चीन से एक अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) प्राप्त हुआ. सरकारी आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है.

सरकार से प्रश्न किया गया था कि क्या यह तथ्य है कि भारतीय कंपनियों, विशेष रूप से स्टार्ट-अप में चीनी एजेंसियों द्वारा बड़े पैमाने पर निवेश किया गया है.

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 1,600 से अधिक कंपनियों ने अप्रैल 2016 से मार्च 2020 की अवधि के दौरान चीन से 102 करोड़ 2.5 लाख डॉलर (1.02 अरब डॉलर) का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) प्राप्त किया.

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