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क्या होता है AGR, जिसकी वजह से 1 अप्रैल से महंगा हो जाएगा आपका इंटरनेट रिचार्ज!

क्या होता है AGR, जिसकी वजह से 1 अप्रैल से महंगा हो जाएगा आपका इंटरनेट रिचार्ज!


पेट्रोल-डीजल की कीमतों में लगातार हो रही बढ़ोतरी के बाद अब आपके फोन का खर्चा बढ़ने वाला है. दरअसल, अब जल्द ही आपके फोन पर होने वाली रिचार्ज महंगे होने वाले हैं, जिससे मोबाइन पर बात करना और इंटरनेट चलाना महंगा हो जाएगा

क्या होता है AGR, जिसकी वजह से 1 अप्रैल से महंगा हो जाएगा आपका इंटरनेट रिचार्ज!
कंपनियों के मौजूदा प्लान के रेट भी बढ़ जाएंगे.

पेट्रोल-डीजल की कीमतों में लगातार हो रही बढ़ोतरी के बाद अब आपके फोन का खर्चा बढ़ने वाला है. दरअसल, अब जल्द ही आपके फोन पर होने वाली रिचार्ज महंगे होने वाले हैं, जिससे मोबाइन पर बात करना और इंटरनेट चलाना महंगा हो जाएगा. बताया जा रहा है कि इस साल 1 अप्रैल से टैरिफ प्लान के रेट में इजाफा हो सकता है और टेलीकॉम कंपनियां जल्द ही रिचार्ज के रेट को लेकर बड़ा फैसला कर सकती हैं.

खास बात ये है कि रिचार्ज के रेट में होने वाला ये इजाफा एयरटेल, जियो, बीएसएनल, वोडाफोन सभी की तरफ से किया जा सकता है. इसके बाद कंपनियां के मौजूदा प्लान के रेट भी बढ़ जाएंगे. वैसे आपको बता दें कि कंपनियां एजीआर की वजह से कीमतों में बढ़ोतरी कर सकती हैं. ऐसे में जानते हैं कि आखिर एजीआर क्या है और 1 अप्रैल से रिचार्ज को लेकर आपकी जेब पर कितना असर पड़ने वाला है…

बिजनेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट में इंवेस्टमेंट इंफोर्मेशन एंड क्रेडिट रेटिंग एजेंसी (ICRA) के हवाले से लिखा गया है कि कंपनियां अपना रेवेन्यु बढ़ाने के लिए 1 अप्रैल से टैरिफ प्लान की कीमतों में इजाफा कर सकती है. ऐसे में फोन यूजर्स की जेब पर सीधा असर पड़ने वाला है. कई रिपोर्ट्स के अनुसार, दूरसंचार कंपनियों के एवरेज रेवेन्यू पर यूजर (एआरपीयू) यानी प्रति ग्राहक औसत रेवेन्यु में सुधार हुआ है, लेकिन अब इसमें और बढ़ोतरी की जाने की तैयारी की जा रही है. एआरपीयू बढ़ने से अगले दो साल में कंपनियों के मुनाफे में 38 फीसदी तक ग्रोथ हो सकती है.

क्या होता है एजीआर?

बताया जा रहा है कि एजीआर की वजह से कंपनियां अपनी कीमतों में बढ़ोतरी कर रही है. दरअसल, एजीआर का मतलब है एडजस्टेड ग्रोस रेवेन्यु. Adjusted Gross Revenue (AGR) एक तरीके के फीस होती है, जो टेलीकम्यूनिकेशन डिपार्टमेंट की ओर से टेलीकॉम ऑपरेटर्स की ओर से ली जाती है. ये स्पैक्ट्रम यूसेज चार्जेस और लाइसेंसिग फीस के बीच विभाजित की जाती है. यह सभी कंपनियों के रेवेन्यू के आधार पर तय की जाती है.

एजीआर से क्यों बढ़ रहे हैं दाम?

बता दें कि टेलीकॉम कंपनियों पर कुल एजीआर का बकाया 1.69 लाख करोड़ रुपये है. वहीं, अभी तक सिर्फ 15 टेलीकॉम कंपनियों ने सिर्फ 30,254 करोड़ रुपये ही चुकाए हैं. रिपोर्ट्स के अनुसार, एयरटेल पर करीब 25,976 करोड़ रुपये, वोडाफोन आइडिया पर 50399 करोड़ रुपये और टाटा टेलीसर्विसेज पर करीब 16,798 करोड़ रुपये का बकाया है.

यह राशि कंपनियों को जल्द ही चुकानी है, इसका भार ग्राहकों पर डाला जा रहा है. वहीं, ग्राहकों के 2जी से 4जी में अपग्रेडेशन की वजह से कंपनियों को काफी फायदा हुआ है और इससे प्रति ग्राहक औसत रेवेन्यु में बढ़ोतरी हुई है. माना जा रहा है कि इस साल के मध्य तक एवरेज रेवेन्यू पर यूजर बढ़कर 220 रुपये तक हो सकता है.

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