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उत्तर प्रदेश भेजने के साथ ही शुरू हुई दरार साल भर से थी सिंधिया को बाहर भेजने की कोशिश

उत्तर प्रदेश भेजने के साथ ही शुरू हुई दरार साल भर से थी सिंधिया को बाहर भेजने की कोशिश


 राहुल गांधी की युवा चौकड़ी में शुमार रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया अब भाजपा के हो चुके हैं सिंधिया कवि राहुल की टीम युवा टीम में प्रियंका गांधी और सचिन पायलट के साथी दरअसल यह 1 दिन या 1 महीने की कहानी नहीं है सिंधिया को प्रदेश से दूर करने की कोशिश है 1 साल पहले विधानसभा चुनाव के बाद से ही शुरू हो गई थी प्रियंका के महासचिव बनने के साथ ही सिंधिया को प्रदेश दूर करने की इबारत लिखी जाने लगी जबकि प्रदेश की सत्ता में 15 साल बाद कांग्रेश के आने में सिंधिया की अहम भूमिका रही राजस्थान में सचिन पायलट की भूमिका को भी महत्वपूर्ण माना गया कांग्रेश को युवाओं की पार्टी माने या ना लगाता लेकिन दोनों जगह फरिश्तों को सूबे की कमान दे दी गई सचिन तोप मुख्यमंत्री बनकर मान गए लेकिन मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य पार्टी में हाशिए पर चले गए

 कांग्रेस की फैसले से नाखुश थे सिं

लोकसभा चुनाव 2019 के पहले कांग्रेस ने प्रियंका को महासचिव बनाकर यहां की कमान सौंप दी सहयोगी के रूप में सिंधिया को भी उत्तर प्रदेश भेज दिया प्रियंका को पूर्वी यूपी और सिंधिया को पश्चिमी यूपी की जिम्मेदारी दी लोकसभा की 42 सीटों पर प्रियंका और 38 सीटों का जिम्मा सिंधिया कथा कांग्रेसी सूत्रों की मानें तो सिंधिया इस फैसले से खुश नहीं थे बैगनवा से चुनाव लड़ रही थी इसलिए वही समय देना चाहती थी पश्चिमी यूपी में कांग्रेस के लिए जीत की कोई उम्मीद नहीं थी यहीं से सिंधिया और कि गांधी परिवार से रिश्ते में दरार आना शुरू हो गई थी प्रियंका से भी खटास पैदा हो गई

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