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मध्यप्रदेश में यूरिया का संकट गहराया, गुस्साए किसानों ने जाम किया नेशनल हाइवे, जिला एवं सत्र न्यायाधीश भी फंसे

मध्यप्रदेश में यूरिया का संकट गहराया, गुस्साए किसानों ने जाम किया नेशनल हाइवे, जिला एवं सत्र न्यायाधीश भी फंसे



SATNA, MADHYA PRADESH, INDIA


सतना-मैहर मार्ग पर किसानों ने रोके वाहन, समिति पर कृत्रिम संकट बनाने का आरोप, खाद के लिए दस दिन से चक्कर लगा रहे थे


सतना। जिले में तमाम दावों के विपरीत यूरिया का संकट अब सामने आने लगा है। सिंचाई के बाद बढ़ी यूरिया की मांग के अनुसार किसानों को खाद उपलब्ध नहीं हो पा रही है। नतीजा यह है कि किसानों में आक्रोश की स्थिति बनने लगी है। हालात यह है कि समितियों में किसानों को खाद नहीं मिल रही है वहीं प्राइवेट विक्रेताओं के यहां दोगुनी दरों पर वहीं खाद आसानी से मिल रही है। ऐसी ही स्थिति मंगलवार को उचेहरा में देखने को मिली। कई दिनों से खाद के लिये चक्कर लगा रहे किसानों का गुस्सा फूट पड़ा और नाराज किसानों ने सतना-मैहर मार्ग पर जाम लगा दिया।

इस जाम में जिला एवं सत्र न्यायाधीश भी फंसे रहे। उन्होंने उतरकर न केवल किसानों को समझाइश दी बल्कि विक्रेता से भी स्थिति जानी। उनकी समझाइश के बाद किसानों ने जाम हटाया। यहां किसानों का आरोप रहा कि समिति वालों की मिलीभगत से कृत्रिम संकट की स्थिति बनाई जा रही है, जिससे यहां खाद का टोटा बना हुआ है। वहीं निजी दुकानों में ज्यादा रेट पर भरपूर खाद उपलब्ध है।

उचेहरा स्थित विपणन सहकारी समिति एवं नगद खरीदी केन्द्र में मंगलवार सुबह जब किसान खाद लेने पहुंचे तो बताया गया कि 100 बोरी खाद उपलब्ध है। 10 दिन से लगातार खाद मिलने की आशा में चक्कर लगा रहे किसानों का सब्र टूट गया और किसानों ने खाद विक्रय केन्द्र के सामने सतना मैहर रोड पर जाम लगा दिया। देखते ही देखते दोनों ओर वाहनों का खड़ा होना शुरू हो गया।

न्यायाधीश ने किसानों से जानी स्थिति 
किसानों की ओर से लगाए गए जाम में जिला एवं सत्र न्यायाधीश का भी वाहन फंस गया। स्थिति देखते हुए खुद न्यायाधीश उतरे और दुकानदार से स्थिति समझी और किसानों को भी समझाइश दी। समझाइश का असर हुआ और किसानों ने जाम हटा लिया। हालांकि इसके आधे घंटे बाद यहां एक ट्रक खाद आ भी गई।

मिलीभगत का संकट
किसानों ने बताया कि प्रशासन का दावा है कि यूरिया का संकट नहीं है फिर क्यों किसानों को खाद नहीं मिल रही है। बताया कि कृ षि और मार्कफेड के अधिकारियों की मिलीभगत से खाद का कृत्रिम संकट बनाया जा रहा है। यहीं वजह है कि समिति में खाद नहीं है और निजी दुकानदारों के यहां दोगुनी दर पर खाद आसानी से मिल रही है। कृषि विभाग महंगी खाद बेचने वालों पर कार्रवाई क्यों नहीं कर रहा, जबकि इसकी शिकायतें भी की जा रही है। स्पष्ट है कि उनकी मिलीभगत है।

10 दिन से हालत खराब 
किसान यूनियन के रामकलेश सिंह ने कहा कि 10 दिन से खाद का संकट है, लेकिन जिम्मेदार ध्यान नहीं दे रहे हैं। बाजार में महंगी दर पर खाद मिल रही है। समितियों में भी चेहरा देख कर खाद दी जा रही है। किसी को 20 बोरी तो किसी को एक बोरी भी खाद नहीं मिल पा रही है।

मिलीभगत का खेल
पथरहटा से खाद लेने पहुंचे किसान शैलेन्द्र सिंह ने बताया कि वे 4 दिन से यहां खाद लेने आ रहे हैं। रोज आधार जमा करा लेते हैं लेकिन खाद नहीं दे रहे। बाजार में खाद दोगुनी दर पर मिल रही है। यहां खाद का मिलीभगत का खेल चल रहा है।

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